शहर के फ़ुट-पाथ पर कुछ चुभते मंज़र देखना

शहर के फ़ुट-पाथ पर कुछ चुभते मंज़र देखना

सर्द रातों में कभी घर से निकल कर देखना

ये समझ लो तिश्नगी का दौर सर पर आ गया

रात को ख़्वाबों में रह रह कर समुंदर देखना

किस के हाथों में हैं पत्थर कौन ख़ाली हाथ है

ये समझने के लिए शीशा सा बन कर देखना

बे-हिसी है बुज़-दिली है हौसला-मंदी नहीं

बैठ कर साहिल पे तूफ़ानों के तेवर देखना

ऐ मिरे आँगन के साए ऐ मिरे फलदार पेड़

तेरी क़िस्मत में है अब पत्थर ही पत्थर देखना

ये सितम ये शोरिशें तम्हीद हैं इस बात की

बस्ती बस्ती हर तरफ़ ख़ूँ का समुंदर देखना

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In Hindi By Famous Poet Saeed Akhtar. is written by Saeed Akhtar. Complete Poem in Hindi by Saeed Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.