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मआनी की तलाश में मरते लफ़्ज़ - सईद अहमद कविता - Darsaal

मआनी की तलाश में मरते लफ़्ज़

सेहन में फैली है

तल्ख़-तर रात की रानी की महक

कमरा-हैरत में

ख़्वाब की शहज़ादी

बाल बिखराए मिरे सीने पर

कब से इक ख़्वाब-ए-अबद में गुम है

लम्स की आँखों में

क़ोस-दर-क़ोस तिलिस्मात अजब ज़िंदा हैं

झड़ चुका है लेकिन

जिस्म की शाख़ से चेहरे का फूल

ज़ीस्त के जोहड़ में

ख़्वाहिश-ए-दरिया के

एक अम्र लम्हे को

सोचने की ये सज़ा कुछ कम है

कि जली हर्फ़ों में

लिख चुका है कोई

तीरा-ओ-तार अज़ल के किसी पस-ए-मंज़र में

जश्न-ए-नौरोज़ पे मामूल की इक मौत

हमारी ख़ातिर

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In Hindi By Famous Poet Saeed Ahmad. is written by Saeed Ahmad. Complete Poem in Hindi by Saeed Ahmad. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.