Ghazals of Saeed Ahmad
नाम | सईद अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Saeed Ahmad |
ज़िक्र मेरा है आसमान में क्या
वही ख़राबा-ए-इम्काँ वही सिफ़ाल-ए-क़दीम
शोरिश-ए-वक़्त हुई वक़्त की रफ़्तार में गुम
पत्थर को पूजते थे कि पत्थर पिघल पड़ा
खुलता है यूँ हवा का दरीचा समझ लिया
जब समाअत तिरी आवाज़ तलक जाती है
होने की इक झलक सी दिखा कर चला गया
हैरत-ए-पैहम हुए ख़्वाब से मेहमाँ तिरे
इक बर्ग-ए-ख़ुश्क से गुल-ए-ताज़ा तक आ गए