Ghazals of Sadruddin Mohammad Faez
नाम | सदरुद्दीन मोहम्मद फ़ाएज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Sadruddin Mohammad Faez |
ज़ुल्फ़ तेरी हुई कमंद मुझे
तिरी गाली मुझ दिल को प्यारी लगे
रास्त अगर सर्व सी क़ामत करे
पेच भाया मुझ को तुझ दस्तार का
मुँह फूल से रंगीं था व सारी थी उस हरी
मेरी जाँ वो बादा-ख़्वारी याद है
मिरा महबूब सब का मन हरन है
मरे दिल बीच नक़्श-ए-नाज़नीं है
चौधवाँ उस चंदर का साल हुआ
ऐ ख़ूब-रू फ़रिश्ता सियर-अंजुमन में आ