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उदास उदास सर-ए-साग़र-ओ-सुबू भी मैं - सादिक़ नसीम कविता - Darsaal

उदास उदास सर-ए-साग़र-ओ-सुबू भी मैं

उदास उदास सर-ए-साग़र-ओ-सुबू भी मैं

यम-ए-नशात की इक मौज-ए-तुंद-ख़ू भी मैं

मुझी में गुम हैं कई तीरगी-ब-कफ़ रातें

ज़िया-फ़रोश सर-ए-ताक़-ए-आरज़ू भी मैं

मुझी से क़ाएम-ओ-दाएम हैं घर के सन्नाटे

तुम्हारी बज़्म-ए-तमन्ना की हाव-हू भी मैं

मिरे ही ज़ख़्म-ए-तमन्ना में सौ तरह के रंग

भरी बहार में महरूम-ए-रंग-ओ-बू भी मैं

जो राह चलते मिरी सम्त आँख भी न उठाए

उसी की बज़्म का मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू भी मैं

जिसे सँवार के ख़ुद भी बिखरता जाता हूँ

उस एक गौहर-ए-सद-ज़ौ की आबरू भी मैं

कुछ ऐसे तौर से चमका है दिल का दाग़-ए-शिकस्त

कि आज तक नहीं हसरत-कश-ए-रफ़ू भी मैं

नज़र में तेरे हर अंदाज़ को सजाए हुए

मिसाल-ए-आईना भी मैं लहू लहू भी मैं

मैं आज साज़-ए-दिल-ओ-जाँ पे गाऊँ कौन सा गीत

तुम्हारे पास भी दुनिया के रू-ब-रू भी मैं

तुम्हारी बरहम से उठने का भी ख़याल मुझे

ज़रा सी देर ठहरने का हीला-जू भी मैं

ख़ुद अपने आप से ऐसा बिछड़ गया हूँ 'नसीम'

कि अब मक़ाम भी मंज़िल भी जुस्तुजू भी मैं

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In Hindi By Famous Poet Sadique Naseem. is written by Sadique Naseem. Complete Poem in Hindi by Sadique Naseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.