दिल को पैहम दर्द से दो-चार रहने दीजिए

दिल को पैहम दर्द से दो-चार रहने दीजिए

कुछ तो क़ाएम इश्क़ का मेआ'र रहने दीजिए

दिल की दुनिया ग़म सरापा ग़म की दुनिया क्या कहूँ

काएनात-ए-दिल को ग़म-आसार रहने दीजिए

किस तरफ़ जाए ग़रीब अदबार का मारा हुआ

इस मुसाफ़िर को पस-ए-दीवार रहने दीजिए

आ रही है साज़-ए-दिल के तार में लर्ज़िश अभी

अपनी नज़रों को शरीक-ए-कार रहने दीजिए

सारी दुनिया हो चुकी बेगाना-ए-होश-ओ-ख़िरद

कम-से-कम 'सादिक़' को तो होश्यार रहने दीजिए

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In Hindi By Famous Poet Sadique Indori. is written by Sadique Indori. Complete Poem in Hindi by Sadique Indori. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.