अल्फ़ाज़ अल्फ़ाज़ ही हैं
सारे अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़ अल्फ़ाज़ अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़ ही हैं
धुवें से लिक्खे
इक बयाबाँ के अंधकार के दरमियाँ
बयाबाँ के अंधकारी के दरमियाँ
नींद की
नीली नीली सुरंगें कहाँ
कहाँ कोई हमसायगी
ख़ून की सरख़ुशी
धर्म अख़्लाक़ तहज़ीब इंसानियत
राजनीती
मोहब्बत समाज और जम्हूरियत
न्याय दस्तूर रिश्ते
दोस्त भाई बहन बाप माँ
सारे अल्फ़ाज़
अल्फ़ाज़ अल्फ़ाज़ ही हैं
धुएँ से लिखे
सिर्फ़ मैं
और मिरे क़ुर्ब का
नामयाती तअ'ल्लुक़
हक़ीक़त है
और बाक़ी सब कुछ हैं
टूटे तिलिस्मात की हड्डियाँ
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