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वो एक चेहरा जो उस से गुरेज़ कर जाता - सादिक़ कविता - Darsaal

वो एक चेहरा जो उस से गुरेज़ कर जाता

वो एक चेहरा जो उस से गुरेज़ कर जाता

तो आईना उसी दम टूट कर बिखर जाता

न जाने कैसे बनी वो ज़बान पत्थर की

वगर्ना हम पे क़यामत सा कुछ गुज़र जाता

उठा ही लाया सभी रास्ते वो काँधों पर

यक़ीन उस पे न करता तो मैं किधर जाता

धनक के रंग उसी ने खुरच लिए थे मगर

जो हम न देखते इस बार भी मगर जाता

सफ़र का अंत लगा मौत की तरह वर्ना

पुकारती थीं मुझे मंज़िलें ठहर जाता

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In Hindi By Famous Poet Sadiq. is written by Sadiq. Complete Poem in Hindi by Sadiq. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.