Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f4a60d15ec8192e19cbcbf304ebdd29c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रास्ते फैले हुए जितने भी थे पत्थर के थे - सदफ़ जाफ़री कविता - Darsaal

रास्ते फैले हुए जितने भी थे पत्थर के थे

रास्ते फैले हुए जितने भी थे पत्थर के थे

राहज़न शश्दर रहे ख़ुद क़ाफ़िले पत्थर के थे

नर्म-ओ-नाज़ुक ख़्वाहिशें क्या हो गईं हम क्या कहीं

आरज़ूओं की नदी में बुलबुले पत्थर के थे

अश्क से महरूम थीं आँखें फ़ज़ा-ए-शहर की

जान-ओ-दिल पत्थर के थे जो ग़म मिले पत्थर के थे

हर क़दम पर ठोकरों में ज़िंदगी बटती रही

आदमी की राह में सब मरहले पत्थर के थे

दिल धड़क कर चुप रहा कल मस्लहत की राह पर

सर-बुरीदा सैकड़ों ऊपर तले पत्थर के थे

रेगज़ार-ए-ज़ीस्त में सोज़-ए-सफ़र जाता रहा

यूँ हुआ महसूस जैसे आबले पत्थर के थे

लम्हा लम्हा संग बन कर जी रही थी मैं 'सदफ़'

चाहतों के दरमियाँ जब हौसले पत्थर के थे

(567) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sadaf Jafri. is written by Sadaf Jafri. Complete Poem in Hindi by Sadaf Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.