वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता
दर्द कुछ होते हैं ता-उम्र रुलाने वाले
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(755) Peoples Rate This
दिखाएगी असर दिल की पुकार आहिस्ता आहिस्ता
दिल न माना मना के देख लिया
अपनी उर्दू तो मोहब्बत की ज़बाँ थी प्यारे
लोग कहते हैं दिल लगाना जिसे
क्यूँ ये हसरत थी दिल लगाने की
इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगी
कौन आएगा भूल कर रस्ता
क्यूँ सदा पहने वो तेरा ही पसंदीदा लिबास
नींद आई ही नहीं हम को न पूछो कब से
दिल के कहने पर चल निकला
दे गया ख़ूब सज़ा मुझ को कोई कर के मुआफ़
मोहब्बत के मरीज़ों का मुदावा है ज़रा मुश्किल