तुम सितारों के भरोसे पे न बैठे रहना
अपनी तदबीर से तक़दीर बनाते जाओ
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क्यूँ ये हसरत थी दिल लगाने की
तबीअत रफ़्ता रफ़्ता ख़ूगर-ए-ग़म होती जाती है
हमें न रास ज़माने की महफ़िलें आई
दिल को समझा लें अभी से तो मुनासिब होगा
दिल न माना मना के देख लिया
दे गया ख़ूब सज़ा मुझ को कोई कर के मुआफ़
चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं
दिल के कहने पर चल निकला
दिखाएगी असर दिल की पुकार आहिस्ता आहिस्ता
न ज़िक्र गुल का कहीं है न माहताब का है