इक न इक रोज़ रिफ़ाक़त में बदल जाएगी
दुश्मनी को भी सलीक़े से निभाते जाओ
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
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अब कहाँ दोस्त मिलें साथ निभाने वाले
उन्हें न तोलिये तहज़ीब के तराज़ू में
वक़्त हर ज़ख़्म का मरहम तो नहीं बन सकता
दिल न माना मना के देख लिया
क्यूँ सदा पहने वो तेरा ही पसंदीदा लिबास
ज़ुल्फ़ लहरा के फ़ज़ा पहले मोअत्तर कर दे
मंज़र-ए-रुख़्सत-ए-दिलदार भुलाया न गया
चलो कि हम भी ज़माने के साथ चलते हैं
'सदा' के पास है दुनिया का तजरबा वाइज़
शेर में साथ रवानी के मआनी भी तो भर
यूँ तो इक उम्र साथ साथ हुई
नींद आई ही नहीं हम को न पूछो कब से