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कैसे सच से रहे बे-ख़बर आइना - सचिन शालिनी कविता - Darsaal

कैसे सच से रहे बे-ख़बर आइना

कैसे सच से रहे बे-ख़बर आइना

आज ख़ुश है बहुत टूट कर आइना

हर तरफ़ बे-ज़मीरी नज़र आएगी

हो गया गर ये पूरा नगर आइना

आइना लोग घर में सजाते हैं पर

मैं ने कर डाला पूरा ही घर आइना

झूठे चेहरों को सच्चा बताता सदा

रखता इंसाँ सी फ़ितरत अगर आइना

आइने की है इक और ख़ूबी सुनो

सब को आता नहीं है नज़र आइना

लग न जाए कोई दाग़ किरदार पर

ज़िंदा रखता है दिल में ये डर आइना

सिर्फ़ सूरत नहीं जिस में सीरत दिखे

ऐसा बन कर चले हम-सफ़र आइना

वो बदलते हैं किरदार दिन में कई

देखते हैं जो शाम-ओ-सहर आइना

मुझ को देते हैं अब वो नसीहत 'सचिन'

देख पाए न जो उम्र-भर आइना

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In Hindi By Famous Poet Sachin Shalini. is written by Sachin Shalini. Complete Poem in Hindi by Sachin Shalini. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.