ढल चुके सूरज के एहसासात की
है बहुत उलझी कहानी रात की
सब बिखर जाएँगे मोती फ़र्श पर
खोल दूँ गर पोटली जज़्बात की
रख दी है इज़्ज़त जिन्होंने ताक पे
बात करते हैं वही औक़ात की
अपनी मेहनत पर भरोसा है हमें
है नहीं ख़्वाहिश किसी ख़ैरात की
हो गया आदी 'सचिन' दिल दर्द का
आँख आदी हो गई बरसात की