वो एक बार भी मुझ से नज़र मिलाए अगर
तो मैं उसे भी कोई मेहरबाँ शुमार करूँ
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(581) Peoples Rate This
तुम्हें तो क़ब्र की मिट्टी भी अब पुकारती है
लहू में नाचती हमेश्गी उदास हो के रह गई
शायरी फूल खिलाने के सिवा कुछ भी नहीं है तो 'ज़फ़र'
नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम
वो क्यूँ न रूठता मैं ने भी तो ख़ता की थी
अजब इक बे-यक़ीनी की फ़ज़ा है
रात को ख़्वाब हो गई दिन को ख़याल हो गई
उस से बिछड़ के एक उसी का हाल नहीं मैं जान सका
कितनी बे-सूद जुदाई है कि दुख भी न मिला
हर दर्जे पे इश्क़ कर के देखा
मैं जिस के साथ 'ज़फ़र' उम्र भर उठा बैठा