वाक़िफ़ ख़ुद अपनी चश्म-ए-गुरेज़ाँ से कौन है

वाक़िफ़ ख़ुद अपनी चश्म-ए-गुरेज़ाँ से कौन है

मानूस अब मिरे दिल-ए-वीराँ से कौन है

किस को ख़बर है किस घड़ी आँखें छलक पड़ें

अब आश्ना तहय्या-ए-तूफ़ाँ से कौन है

देखें जिसे ख़लल है उसी के दिमाग़ में

सरशार अब तसव्वुर-ए-जानाँ से कौन है

वो ज़ुल्म शहर में है कि अंधेर है कोई

वाबस्ता रस्म-ए-जश्न-ए-चराग़ाँ से कौन है

देखो जिसे वही है गिरफ़्तार-ए-आरज़ू

अब दूर इस नवाह में ज़िंदाँ से कौन है

मक़्तल में जिस को अपने लहू से जलाया था

पुर-नूर उस एक शम-ए-फ़रोज़ाँ से कौन है

चेहरों की ज़र्दियों से 'ज़फ़र' हो मुवाज़ना

नज़दीक रंग-ए-दश्त-ओ-बयाबाँ से कौन है

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In Hindi By Famous Poet Sabir Zafar. is written by Sabir Zafar. Complete Poem in Hindi by Sabir Zafar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.