सितारे सो गए तो आसमाँ कैसा लगेगा
सितारे सो गए तो आसमाँ कैसा लगेगा
जहान-ए-तीरगी में ये जहाँ कैसा लगेगा
बिछड़ के साहिलों से मौज-ए-दिल कैसी लगेगी
बिखर के आँधियों में बादबाँ कैसा लगेगा
ठहर जाएँगी जब ये कश्तियाँ कैसी लगेंगी
गुज़र जाएगा जब आब-ए-रवाँ कैसा लगेगा
इमारत ढह चुकी होगी जो साँसें टूटने से
तो फिर वो साया-ए-दीवार-ए-जाँ कैसा लगेगा
उतर जाएगा रंग-ए-आशिक़ी जब इस के ख़ूँ से
तो दिल बेगाना-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ कैसा लगेगा
क़फ़स कैसा लगेगा उड़ गए जब गाते पंछी
न होगा जब कोई शोर ओ फ़ुग़ाँ कैसा लगेगा
बिखर जाएँगी ज़ंजीरें सभी ज़िंदानियों की
ज़वाल-ए-नख़वत-ए-ना-मेहरबाँ कैसा लगेगा
बहुत रंगीनियाँ होंगी अगरचे रह में लेकिन
मुसाफ़िर खो गया तो कारवाँ कैसा लगेगा
जहाँ तुम से बहुत पहले पहुँच जाएँगे हम लोग
न जाने आख़िरी वो ख़ाक-दाँ कैसा लगेगा
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