सब सितम याद हैं सारी हमदर्दियाँ याद हैं
सब सितम याद हैं सारी हमदर्दियाँ याद हैं
इस ज़मीं के मकीनों को सात आसमाँ याद हैं
मुझ को अफ़्सोस है मैं जुदा हो रहा हूँ मगर
ऐ मुसाफ़िर मुझे तेरी सब नेकियाँ याद हैं
मैं वहाँ अब नहीं हूँ तो क्या है कि अब तक मुझे
वो मकाँ उस के दरवाज़े और खिड़कियाँ याद हैं
जिन में बरबाद होने को जी चाहता है बहुत
मुझ को ऐसी भी चंद एक आबादियाँ याद हैं
जानता हूँ 'ज़फ़र' ये घड़ी भूल जाने की है
फिर भी सारे शुकूक और सारे गुमाँ याद हैं
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