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महसूस लम्स जिस का सर-ए-रह-गुज़र किया - साबिर ज़फ़र कविता - Darsaal

महसूस लम्स जिस का सर-ए-रह-गुज़र किया

महसूस लम्स जिस का सर-ए-रह-गुज़र किया

साया था वो उसी का जिसे हम-सफ़र किया

कुछ बे-ठिकाना करती रहीं हिजरतें मुदाम

कुछ मेरी वहशतों ने मुझे दर-ब-दर किया

रहना नहीं था साथ किसी के मगर रहे

करना नहीं था याद किसी को मगर किया

तू आइना भी आप था और अक्स भी था आप

तेरे जमाल ही ने तुझे ख़ुश-नज़र किया

वो जिस डगर मिलेगा वहीं मर मिटूंगा मैं

तुम देखना सफ़र का इरादा अगर किया

जब ज़िंदगी गुज़ार दी आया है तब ख़याल

क्यूँ उस का इंतिज़ार 'ज़फ़र' उम्र भर किया

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In Hindi By Famous Poet Sabir Zafar. is written by Sabir Zafar. Complete Poem in Hindi by Sabir Zafar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.