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उस जंगल से जब गुज़रोगे तो एक शिवाला आएगा - साबिर वसीम कविता - Darsaal

उस जंगल से जब गुज़रोगे तो एक शिवाला आएगा

उस जंगल से जब गुज़रोगे तो एक शिवाला आएगा

वहाँ रुक जाना वहाँ रह जाना वहाँ सुख का उजाला आएगा

ये सोच के उठना हर दिन तुम इस दिल का फूल खिलेगा ज़रूर

इस आस पे सोना अब की शब कोई ख़्वाब निराला आएगा

जब उस के हाथ नया माज़ी इस सफ़्हा-ए-अर्ज़ पे लिक्खेंगे

जब सहर ओ शाम रक़म होंगे तब मेरा हवाला आएगा

इस बे-अंदेशा सहरा में इस ऊँघने वाली उम्मत पर

कब जागने वाला उतरेगा कब सोचने वाला आएगा

फिर रूहें ज़ख़्मी ज़ख़्मी हैं फिर कोढ़ से दुखने आए बदन

यूँ लगता है कि शफ़ाअत को फिर कोई ग्वाला आएगा

ऐ राह-ए-सुख़न के राह-रवो दिल-शाद रहो इस राह में भी

ख़ुश्बू की सवारी ठहरेगी रंगों का पियाला आएगा

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In Hindi By Famous Poet Sabir Waseem. is written by Sabir Waseem. Complete Poem in Hindi by Sabir Waseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.