मिरे ध्यान में है इक महल कहीं चौबारों का
मिरे ध्यान में है इक महल कहीं चौबारों का
वहाँ जाऊँ कैसे रस्ता है अँगारों का
वहाँ हरियाली के कुंज में एक बसेरा है
वहाँ दरिया बहता रहता है महकारों का
तुम दिल का दरीचा खोल के बाहर देखो तो
अम्बोह गुज़रने वाला है दिल-दारों का
मिरी ख़ल्वत को ये इंसानों का जंगल है
मिरी वहशत को ये सहरा है दीवारों का
इक पीले रंग की धुँद जमी है चेहरों पर
कोई आ के देखे हाल तिरे बीमारों का
हम क़र्या क़र्या मुल्कों मुल्कों फिरते हैं
दुनिया में कोई देस नहीं बंजारों का
ख़्वाब की दौलत चैन से सोने वालों की
तारे गिनना काम है हम बेदारों का
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