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करता है कोई और भी गिर्या मिरे दिल में - साबिर वसीम कविता - Darsaal

करता है कोई और भी गिर्या मिरे दिल में

करता है कोई और भी गिर्या मिरे दिल में

रहता है कोई और भी मुझ सा मिरे दिल में

वो मिल गया फिर भी ये लगातार उदासी

शायद है कोई और भी धड़का मिरे दिल में

इक रंज में डूबा हुआ बे-नाम मुसाफ़िर

आया था बड़ी दूर से ठहरा मिरे दिल में

जिस शाम को भूले हुए इक उम्र हुई थी

चमका है उसी शाम का तारा मिरे दिल में

इक हूक सी उठती है सर-ए-बाम-ए-तमन्ना

वो मेरी ख़ुशी से कभी रहता मिरे दिल में

आए हैं यहाँ तक तो चलो उस से भी मिल लें

ये ध्यान भी इक बार तो आया मिरे दिल में

जिस आग को कहते हैं क़यामत से नहीं कम

बहता है उसी आग का दरिया मिरे दिल में

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In Hindi By Famous Poet Sabir Waseem. is written by Sabir Waseem. Complete Poem in Hindi by Sabir Waseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.