Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1453bbc4c0fa5ced7a6264b7e4b5a9ec, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
असीर-ए-शाम हैं ढलते दिखाई देते हैं - साबिर वसीम कविता - Darsaal

असीर-ए-शाम हैं ढलते दिखाई देते हैं

असीर-ए-शाम हैं ढलते दिखाई देते हैं

ये लोग नींद में चलते दिखाई देते हैं

वो इक मकान कि उस में कोई नहीं रहता

मगर चराग़ से जलते दिखाई देते हैं

ये कैसा रंग नज़र आया उस की आँखों में

कि सारे रंग बदलते दिखाई देते हैं

वो कौन लोग हैं जो तिश्नगी की शिद्दत से

कनार-ए-आब पिघलते दिखाई देते हैं

अँधेरी रात में भी शहर के दरीचों से

हमें तो चाँद निकलते दिखाई देते हैं

(538) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sabir Waseem. is written by Sabir Waseem. Complete Poem in Hindi by Sabir Waseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.