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'बद्र' जब आगही से मिलता है - साबिर बद्र जाफ़री कविता - Darsaal

'बद्र' जब आगही से मिलता है

'बद्र' जब आगही से मिलता है

इक दिया रौशनी से मिलता है

चाँद तारे शफ़क़ धनक ख़ुशबू

सिलसिला ये उसी से मिलता है

जितनी ज़ियादा है कम है उतनी ही

ये चलन आगही से मिलता है

दुश्मनी पेड़ पर नहीं उगती

ये समर दोस्ती से मिलता है

यूँ तो मिलने को लोग मिलते हैं

दिल मगर कम किसी से मिलता है

'बद्र' आप और ख़याल भी उस का

साया कब रौशनी से मिलता है

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In Hindi By Famous Poet Sabir Badr Jaafrii. is written by Sabir Badr Jaafrii. Complete Poem in Hindi by Sabir Badr Jaafrii. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.