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क्या पता क्या था उधर और क्या न था - साबिर अदीब कविता - Darsaal

क्या पता क्या था उधर और क्या न था

क्या पता क्या था उधर और क्या न था

क़द मिरा दीवार से ऊँचा न था

ज़ेहन मुर्दा जिस्म बे-हिस बे-लिबास

मैं ने वो देखा है जो देखा न था

भागता फिरता हूँ अपने-आप से

ऐसा भी होगा कभी सोचा न था

मल्गजे बिगड़े से चेहरे हर तरफ़

ज़िंदगी पहले तुझे देखा न था

मसअले कुछ लिख गया दीवार पर

एक दीवाना जो दीवाना न था

उस की लाखों में यही पहचान थी

क़ब्र पर उस की कोई कतबा न था

जिस ने जो माँगा उसे वो दे दिया

ऐ ख़ुदा क्या मैं तिरा बंदा न था

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In Hindi By Famous Poet Sabir Adeeb . is written by Sabir Adeeb . Complete Poem in Hindi by Sabir Adeeb . Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.