जो भी होगा वार देखा जाएगा
जो भी होगा वार देखा जाएगा
ग़म न कर ग़म-ख़्वार देखा जाएगा
किस तरह मनवा लिया जाए तुझे
ऐ मिरे फ़नकार देखा जाएगा
चल दिए तो फिर कहीं रुकना नहीं
रास्ता दुश्वार देखा जाएगा
इंतिज़ार अब तो नहीं है इंतिज़ार
ऐ दिल-ए-बेज़ार देखा जाएगा
हिज्र के सहरा का ऐसा ज़िक्र क्या
ऐ शब-ए-बेदार देखा जाएगा
वक़्त करता है 'सबा' कुछ फ़ैसले
वक़्त को हर बार देखा जाएगा
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