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जुनूँ में गुम हुए होश्यार हो कर - सबा अकबराबादी कविता - Darsaal

जुनूँ में गुम हुए होश्यार हो कर

जुनूँ में गुम हुए होश्यार हो कर

हमें नींद आ गई बेदार हो कर

मता-ए-अस्ल हाथों से गँवा दी

ख़राब-ए-अंदक-ओ-बिसयार हो कर

हमीं ने की थी सैक़ल इस नज़र पर

हमीं पर गिर पड़ी तलवार हो कर

जो ग़ुंचा सो रहा था शाख़-ए-गुल पर

परेशाँ हो गया बेदार हो कर

दुर-ए-मक़सूद बस इक दो क़दम था

कि रिश्ता रह गया दीवार हो कर

न आए होश में दीवाना कोई

बहुत दुख पाएगा होश्यार हो कर

'सबा' मय है न साक़ी है न साग़र

ये दिन भी देखिए मय-ख़्वार हो कर

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In Hindi By Famous Poet Saba Akbarabadi. is written by Saba Akbarabadi. Complete Poem in Hindi by Saba Akbarabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.