गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है
जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Allama Iqbal
Gulzar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(755) Peoples Rate This
सामने उन को पाया तो हम खो गए आज फिर हसरत-ए-गुफ़्तुगू रह गई
भूल जाना था तो फिर अपना बनाया क्यूँ था
करना ही पड़ेगा ज़ब्त-ए-अलम पीने ही पड़ेंगे ये आँसू
जो आ के रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क नहीं है पानी है
कारवाँ लुट गया राहबर छुट गया रात तारीक है ग़म का यारा नहीं
लुटा के राह-ए-मोहब्बत में हर ख़ुशी मैं ने
होश-ओ-ख़िरद से दूर हूँ सूद-ओ-ज़ियाँ से दूर