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अब्र उतरा है चार-सू देखो - सादुल्लाह शाह कविता - Darsaal

अब्र उतरा है चार-सू देखो

अब्र उतरा है चार-सू देखो

अब वो निखरेगा ख़ूब-रू देखो

सुर्ख़ ईंटों पे नाचती बारिश

और यादें हैं रू-ब-रू देखो

ऐसे मौसम में भीगते रहना

एक शायर की आरज़ू देखो

वो जो ज़ीना-ब-ज़ीना उतरा है

अक्स मेरा है हू-ब-हू देखो

अपनी सोचें सफ़र में रहती हैं

उस को पाने की जुस्तुजू देखो

दिल की दुनिया है दूसरी दुनिया

ऐसे मंज़र को बा-वज़ू देखो

इक सुकूँ है अगरचे बस्ती में

'साद' अंदर की हाव-हू देखो

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In Hindi By Famous Poet Saadullah Shah. is written by Saadullah Shah. Complete Poem in Hindi by Saadullah Shah. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.