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दिल में हो गर ख़्वाहिश-ए-तस्वीर-ए-इबरत देखना - सअादत बाँदवी कविता - Darsaal

दिल में हो गर ख़्वाहिश-ए-तस्वीर-ए-इबरत देखना

दिल में हो गर ख़्वाहिश-ए-तस्वीर-ए-इबरत देखना

ख़ुश-नसीबी बाँटने वालों की क़िस्मत देखना

दोस्तों और दुश्मनों के दरमियाँ रह कर तो देख

तुझ को आ जाएगा फ़र्क़-ए-नूर-ओ-ज़ुल्मत देखना

क्या क़यामत से डरें हम लोग तो वो हैं जिन्हें

पड़ रहा है रोज़ ही रोज़-ए-क़यामत देखना

मुफ़लिसी के दिन हैं और बरसात की आमद का शोर

मशग़ला सा बन गया टूटी हुई छत देखना

ऐसे मौक़ों पर जब आएँ ज़िंदगी में मुश्किलें

जिन की जानिब देखना हो भूल कर मत देखना

ऐ 'सआदत' जो नसीहत करते हो औरों को तुम

इस नसीहत को कभी अपनी भी बाबत देखना

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In Hindi By Famous Poet Saadat Bandvi. is written by Saadat Bandvi. Complete Poem in Hindi by Saadat Bandvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.