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कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ - एस ए मेहदी कविता - Darsaal

कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ

कैसे करूँ मैं ज़ब्त-ए-राज़ तू ही मुझे बता कि यूँ

ऐ दिल-ए-ज़ार शरह-ए-राज़ मुझ से भी तू छुपा कि यूँ

कैसे छुपाऊँ सोज़-ए-दिल तू ही मुझे बता कि यूँ

शम्अ बुझा दी यार ने जैसे था मुद्दआ कि यूँ

एक शिकस्त-ए-ज़ाहिरी फ़त्ह बने तो किस तरह

आईना-दार बन गया क़िस्सा-ए-कर्बला कि यूँ

सोच रहा था ग़म-नसीब बिगड़ी बने तो किस तरह

रहमत-ओ-लुत्फ़-ए-किर्दगार बन गए आसरा कि यूँ

ये जो कहा कि पास-ए-इश्क़ हुस्न को कुछ तो चाहिए

दस्त-ए-करम ब-दोश-ए-ग़ैर यार ने रख दिया कि यूँ

पूछा ख़िताब यार से किस तरह कीजिए शाम-ए-वस्ल

चुपके से अंदलीब ने फूल से कुछ कहा कि यूँ

लुत्फ़-ए-जफ़ा-ए-दोस्त का कैसे अदा हो शुक्रिया

लज़्ज़त-ए-सोरिश-ए-जिगर देने लगी दुआ कि यूँ

हम-नफ़स-ओ-हबीब-ए-ख़ास बनते हैं ग़ैर किस तरह

बोली ये सर्द-मेहरी-ए-उम्र-ए-गुरेज़-पा कि यूँ

दोनों हों कैसे एक जा 'मेहदी' सुरूर-ओ-सोज़-ए-दिल

बर्क़-ए-निगाह-ए-नाज़ ने गिर के बता दिया कि यूँ

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In Hindi By Famous Poet S A Mehdi. is written by S A Mehdi. Complete Poem in Hindi by S A Mehdi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.