जब न तब सुनिए तो करता है वो इक़रार बग़ैर

जब न तब सुनिए तो करता है वो इक़रार बग़ैर

गुफ़्तुगू हम से उसे पर नहीं इंकार बग़ैर

बज़्म में रात बहुत सादा-ओ-पुर-फ़न थे वले

गर्मी-ए-बज़्म कहाँ उस बुत-ए-अय्यार बग़ैर

देख बीमार को तेरे ये तबीबों ने कहा

हो चुकी उस को शिफ़ा शर्बत-ए-दीदार बग़ैर

जान पर आ बनी हमदम मिरी ख़ामोशी से

बात कुछ बन नहीं आती है अब इज़हार बग़ैर

जिस की ख़ातिर के लिए यार सब अग़्यार हुए

क्यूँ कि 'दीवाना' भला रहिए अब उस यार बग़ैर

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In Hindi By Famous Poet Roy Sarb Sukh Diwana. is written by Roy Sarb Sukh Diwana. Complete Poem in Hindi by Roy Sarb Sukh Diwana. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.