बीवी के हुज़ूर
इश्क़ का नास करोगी मुझे मालूम न था
मेरे पल्ले ही पड़ोगी मुझे मालूम न था
इक महीने में कमाता हूँ जो तनख़्वाह उसे
ख़र्च हफ़्ते में करोगी मुझे मालूम न था
मैं ने खाई थी क़सम खाऊँगा बस रिज़्क़-ए-हलाल
तुम भी अहमक़ ही कहोगी मुझे मालूम न था
शेर की तरह सदा अर्ज़ करूँगा ख़ुद को
तुम सदा हुक्म ही दोगी मुझे मालूम न था
जो सुनाओगी सुनूँगा मैं हमेशा लेकिन
शेर तक तुम न सुनोगी मुझे मालूम न था
ज़िंदगी ही में मुझे देखना होगा ये दिन
मुझ को मरहूम लिखोगी मुझे मालूम न था
सारी दफ़आत ही हो जाएँगी लागू मुझ पर
इतने इल्ज़ाम धरोगी मुझे मालूम न था
ईद के दिन भी वही जंग का नक़्शा होगा
ईद के दिन भी लड़ोगी मुझे मालूम न था
सख़्त-जानी में भी निकलोगी मिसाली यानी
मार कर मुझ को मरोगी मुझे मालूम न था
पता होता तो न करता कभी कोई नेकी
तुम्हीं जन्नत में मिलोगी मुझे मालूम न था
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