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ये सिलसिला-ए-शाम-ओ-सहर यूँही नहीं है - रूही कंजाही कविता - Darsaal

ये सिलसिला-ए-शाम-ओ-सहर यूँही नहीं है

ये सिलसिला-ए-शाम-ओ-सहर यूँही नहीं है

हर क़ाफ़िला सरगर्म-ए-सफ़र यूँही नहीं है

हंगामे बपा करती है हर आन तिरी याद

पुर-शोर दिल-ओ-जाँ का नगर यूँही नहीं है

तारीख़ सुना सकती है सदियों के सफ़र की

ये गर्द सर-ए-राहगुज़र यूँही नहीं है

उभरेगा यक़ीनन कोई दम में कोई सूरज

बेताबी-ए-अर्बाब-ए-नज़र यूँही नहीं है

मंज़िल भी कोई ख़ास मिलेगी हमें 'रूही'

दुश्वार से दुश्वार सफ़र यूँही नहीं है

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In Hindi By Famous Poet Roohi Kanjahi. is written by Roohi Kanjahi. Complete Poem in Hindi by Roohi Kanjahi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.