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तुझ पे हर हाल में मरना चाहूँ - रूही कंजाही कविता - Darsaal

तुझ पे हर हाल में मरना चाहूँ

तुझ पे हर हाल में मरना चाहूँ

मैं तो ये काम ही करना चाहूँ

हासिल-ए-ज़ीस्त है जुर्म-ए-उल्फ़त

मर के भी मैं न मुकरना चाहूँ

अपने उस्लूब में चाहूँ जीना

अपने अंदाज़ में मरना चाहूँ

मुतवज्जह करे कोई तो उसे

मिस्ल-ए-गुल मैं भी निखरना चाहूँ

कितना महदूद हुआ जाता हूँ

मैं कि हर हद से गुज़रना चाहूँ

एक जुगनू हूँ मगर देख अंदाज़

सुब्ह की तरह बिखरना चाहूँ

सूरत-ए-नग़्मा-ए-जाँ ऐ 'रूही'

मैं तिरे दिल में उतरना चाहूँ

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In Hindi By Famous Poet Roohi Kanjahi. is written by Roohi Kanjahi. Complete Poem in Hindi by Roohi Kanjahi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.