हवा-ए-जिंदगी भी कूचा-ए-क़ातिल से आती है

हवा-ए-जिंदगी भी कूचा-ए-क़ातिल से आती है

समझ इस बात की लेकिन ज़रा मुश्किल से आती है

यूँही होती नहीं है वुसअत-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र पैदा

बसारत में बसीरत दर-हक़ीक़त दिल से आती है

कमाल-ए-इश्क़ का यूँ भी कभी अंदाज़ होता है

सू-ए-परवाना शम्अ चल के ख़ुद महफ़िल से आती है

ख़यालों में ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ कुछ भी नहीं रहता

मोहब्बत की ये ख़ूबी सई-ए-ला-हासिल से आती है

वो आलम कौन सा आलम है जो पिन्हाँ नहीं मुझ में

जो गोश-ए-फ़िक्र वा हो ये सदा भी दिल से आती है

कोई तूफ़ान बस आने ही वाला है समुंदर में

कि बू इस बात की ख़ामोशी-ए-साहिल से आती है

निगाहें क़ैस की यूँ ही नहीं हैं महव-ए-नज़्ज़ारा

ज़िया लैला की है जो पर्दा-ए-महमिल से आती है

नहीं आती है जब ये तो किसी पर भी नहीं आती

मगर आती है जब अपनी तबीअत दिल से आती है

नहीं रहता तफ़ावुत जब विसाल-ओ-हिज्र में कुछ भी

ये मंज़िल इंतिज़ार-ए-शौक़ में मुश्किल से आती है

लहू की छींट तक क़ातिल के दामन पर नहीं कोई

तड़पने की अदा ऐसी बड़ी मुश्किल से आती है

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In Hindi By Famous Poet Rohit Soni 'Tabish'. is written by Rohit Soni 'Tabish'. Complete Poem in Hindi by Rohit Soni 'Tabish'. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.