ज़बान पे नाला-ओ-फ़रियाद के सिवा क्या है
ज़बान पे नाला-ओ-फ़रियाद के सिवा क्या है
हमारे दिल में तिरी याद के सिवा क्या है
उधर तो रंग है मस्ती है शादमानी है
इधर बस इक दिल-ए-नाशाद के सिवा क्या है
जो देखिए तो उधर सौ जहान हैं आबाद
इधर इक आलम-ए-बर्बाद के सिवा क्या है
ख़िज़ाँ की फ़िक्र न अब इंतिज़ार-ए-फ़स्ल-ए-बहार
चमन में शिकवा-ए-सय्याद के सिवा क्या है
है एक ज़ात पे ईमान और यक़ीं मरकूज़
सब और कुफ़्र के इल्हाद के सिवा क्या है
हमारा नाम-ओ-नसब पूछने से क्या हासिल
मिसाल-ए-आबा-ओ-अज्दाद के सिवा क्या है
ये आरज़ू है कि ता'मीर हो मकाँ 'रिज़वान'
अभी ज़मीन पे बुनियाद के सिवा क्या है
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