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दिल जो घबराया तो उठ कर दोस्तों में आ गया - रियाज़ साग़र कविता - Darsaal

दिल जो घबराया तो उठ कर दोस्तों में आ गया

दिल जो घबराया तो उठ कर दोस्तों में आ गया

मैं कि आईना था लेकिन पत्थरों में आ गया

आज उस के बाल भी गर्द-ए-सफ़र से अट गए

आज वो घर से निकल कर रास्तों में आ गया

पढ़ रहा हूँ उस किताब-ए-जिस्म की इक इक वरक़

नूर सब आँखों का खिंच कर उँगलियों में आ गया

लोग कहते हैं कि अपना शहर है लेकिन मुझे

यूँ गुमाँ होता है जैसे दुश्मनों में आ गया

हम भरे बाज़ार में उस वक़्त सूली पर चढ़े

शहर सारा टूट कर जब खिड़कियों में आ गया

शब-ज़दों ने रौशनी माँगी तो सूरज दफ़अ'तन

आसमानों से उतर कर बस्तियों में आ गया

जब समेटा मैं ने अपने रेज़ा रेज़ा जिस्म को

और भी कुछ ज़ोर 'साग़र' आँधियों में आ गया

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In Hindi By Famous Poet Riyaz Saghar. is written by Riyaz Saghar. Complete Poem in Hindi by Riyaz Saghar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.