ज़मीन फैल गई है हमारी रूह तलक
जहाँ का शोर अब अंदर सुनाई देता है
Gulzar
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Anwar Masood
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Sharabi Poetry
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बस लहू की बूँद थी एहसास में
दुनिया से परे जिस्म के इस बाब में आए
हिजरत
बनारस
खींच कर ले जाएगा अंजान महवर की तरफ़
वीनस
एक न्यूक्लेयर नज़्म
हिसार के सभी निज़ाम गर्द गर्द हो गए
चमगादड़
रेत है इज़हार के पानी के पार
मुस्तक़बिल की आँख
गाए