लब-ए-मय-गूँ का तक़ाज़ा है कि जीना होगा
आँख कहती है तुझे ज़हर भी पीना होगा
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Gulzar
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(405) Peoples Rate This
आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया
परा बाँधे सफ़-ए-मिज़्गाँ खड़ी है
जो पिलाए वो रहे यारब मय-ओ-साग़र से ख़ुश
मेरे आग़ोश में यूँही कभी आ जा तू भी
नासेह के सर पर एक लगाई तड़ाक़ से
गुलों के पर्दे में शक्लें हैं मह-जबीनों की
हम बंद किए आँख तसव्वुर में पड़े हैं
ज़ेर-ए-मस्जिद मय-कदा में मय-कदे में मस्त-ए-ख़्वाब
सुना है 'रियाज़' अपनी दाढ़ी बढ़ा कर
ये कहाँ लगी ये कहाँ लगी जो क़फ़स से शोर-ए-फ़ुग़ाँ उठा
कहाँ ये बात हासिल है तिरी मस्जिद को ऐ ज़ाहिद
मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे