रियाज़ ख़ैराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रियाज़ ख़ैराबादी (page 4)
नाम | रियाज़ ख़ैराबादी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Riyaz Khairabadi |
जन्म की तारीख | 1853 |
मौत की तिथि | 1934 |
जन्म स्थान | Khairabad |
बाग़बाँ काम हमें क्या है वो उजड़े कि रहे
बड़े पाक तीनत बड़े साफ़ बातिन
बच जाए जवानी में जो दुनिया की हवा से
अज़ाँ का काम चल जाए जो नाक़ूस-ए-बरहमन से
अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में
ऐसी ही इंतिज़ार में लज़्ज़त अगर न हो
अहल-ए-हरम से कह दो कि बिगड़ी नहीं है बात
अच्छी पी ली ख़राब पी ली
अब मुजरिमान-ए-इश्क़ से बाक़ी हूँ एक मैं
आलम-ए-हू में कुछ आवाज़ सी आ जाती है
आगे कुछ बढ़ कर मिलेगी मस्जिद-ए-जामे 'रियाज़'
आफ़त हमारी जान को है बे-क़रार दिल
आबाद करें बादा-कश अल्लाह का घर आज
ज़िद हमारी दुआ से होती है
ज़रूर पाँव में अपने हिना वो मल के चले
ये सीधे जो अब ज़ुल्फ़ों वाले हुए हैं
ये सर-ब-मोहर बोतलें हैं जो शराब की
ये कोई बात है सुनता न बाग़बाँ मेरी
ये कहाँ से हम गए हैं कहाँ कहें क्या तिरी तग-ओ-ताज़ में
ये कहाँ लगी ये कहाँ लगी जो क़फ़स से शोर-ए-फ़ुग़ाँ उठा
ये काफ़िर बुत जिन्हें दावा है दुनिया में ख़ुदाई का
ये गवारा कि मिरा दस्त-ए-तमन्ना बाँधे
ये बला मेरे सर चढ़ी ही नहीं
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता
वो हों मुट्ठी में उन की दिल हो हम हों
वो गुल हैं न उन की वो हँसी है
वा'दा था जिस का हश्र में वो बात भी तो हो
उतरी है आसमाँ से जो कल उठा तो ला
उस हुस्न का शैदा हूँ उस हुस्न का दीवाना
उन के होते कौन देखे दीदा-ओ-दिल का बिगाड़