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उम्र में दो फ़ुट बड़े हैं दोस्तो - रियाज़ अहमद क़ादरी कविता - Darsaal

उम्र में दो फ़ुट बड़े हैं दोस्तो

उम्र में दो फ़ुट बड़े हैं दोस्तो

फिर भी वो मुझ से लड़े हैं दोस्तो

आज ही हम ने मुंडाया अपना सर

आज ही ओले पड़े हैं दोस्तो

किस तरह पहुँचेंगे कू-ए-यार में

रास्ते में छे गढ़े हैं दोस्तो

उस ने देखा मुझ को चश्म-ए-नाज़ से

आप क्यूँ मुझ से सड़े हैं दोस्तो

अक़्ल-मंदी की निशानी सींग हैं

भैंस ने सर पर जड़े हैं दोस्तो

यार ने पाए पकाए आज भी

हम ने तो खाए बड़े हैं दोस्तो

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In Hindi By Famous Poet Riyaz Ahmad Qadri. is written by Riyaz Ahmad Qadri. Complete Poem in Hindi by Riyaz Ahmad Qadri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.