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यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ - रिन्द लखनवी कविता - Darsaal

यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ

यार आया है अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार दिखाओ

ईसा को ज़रा हालत-ए-बीमार दिखाओ

आ जाओ बस अब राह न ऐ यार दिखाओ

मुश्ताक़ हूँ मुश्ताक़ हूँ दीदार दिखाओ

आलम है सो है हिज्र में याँ जोश-ए-जुनूँ का

सहरा मुझे दिखलाओ कि गुलज़ार दिखाओ

फ़रदा-ए-क़यामत का न इक़रार करो जाँ

लो हश्र सही आज ही दीदार दिखाओ

आशिक़ हैं बहुत एक तो चुन कर कोई मुझ सा

पुश्ते की तरह पुश्त-ब-दीवार दिखाओ

आलम नज़र आ जाए बहार और ख़िज़ाँ का

हम ज़र्द हों तुम फूल से रुख़्सार दिखाओ

तलवार लगाओ मुझे गोली से न मारो

तिल ढाँक लो और अबरू-ए-ख़मदार दिखाओ

हर दम मुतक़ाज़ी है यही हसरत-ए-दीदार

फिर एक नज़र जल्वा-ए-दिलदार दिखाओ

फ़रमाते हो आशिक़ हैं मिरे तुझ से हज़ारों

ऐ जान ज़ियादा नहीं दो-चार दिखाओ

इश्क़ अबरू ओ मिज़्गाँ का बुतो साथ है दम के

ख़ंजर मुझे दिखलाओ कि तलवार दिखाओ

मैं क़ब्र से भी 'रिन्द' यही कहता उठूँगा

मुश्ताक़ हूँ मुश्ताक़ हूँ दीदार दिखाओ

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In Hindi By Famous Poet Rind Lakhnavi. is written by Rind Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rind Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.