Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_27cf5d41d5e2ea10639f5030f06114d6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया - रिन्द लखनवी कविता - Darsaal

सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया

सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया

आख़िर शब-ए-फ़िराक़ में नाला निकल गया

वहशत ने मुझ पे अरसा-ए-हस्ती किया जो तंग

घबरा के सू-ए-आलम-ए-बाला निकल गया

सर दे दे याद-ए-गेसू-ए-जानाँ की चाह में

पीटा करो लकीर को काला निकल गया

याक़ूब-वार रोता मैं उस बुत के हिज्र में

यूसुफ़ मिरा ख़ुदा-ए-त'आला निकल गया

फ़ुर्क़त में उस की शिद्दत-ए-गिर्या कहाँ तलक

बरसा बरस के अब्र का झाला निकल गया

रोका किए मलाएका हफ़्त आसमान के

सातों फ़लक को तोड़ के नाला निकल गया

सोए न साकिनान-ए-मोहल्ला सहर तलक

बे-साख़्ता जो रात को नाला निकल गया

क्यूँ-कर न रोइए दिल-ए-गुम-गश्ता के लिए

नाज़-ओ-निअम से था जिसे पाला निकल गया

पीर-ए-मुग़ाँ फ़क़ीर को समझे शराब-ख़ोर

जिस मय-कदे में ले के पियाला निकल गया

जाता न घर से आप के ज़िद से रक़ीब की

लेकिन ब-पास-ए-ख़ातिर-ए-वाला निकल गया

झटका जो उलझी ज़ुल्फ़ को झुँझला के यार ने

हाले से मछली कान से बाला निकल गया

किस रश्क-ए-गुल की देखी क़बा उस ने तंग चुस्त

बाहर जो अपने जामे से लाला निकल गया

दाना था क्या हराम का रिज़्क़-ए-हलाल में

मुँह से जो ऐ करीम निवाला निकल गया

बूटा कहो न क़ामत-ए-दिलबर को शायरो

अब सर्व से भी वो कद-ए-बाला निकल गया

रौंदा किया मैं ख़ार-ए-बयाबाँ को ऐ जुनून

हर इक बचा के पाँव का छाला निकल गया

कम्बल में अपने गर्म रहा मैं फ़क़ीर-ए-मस्त

किया गया न दूर-दार दूना निकल गया

फिर चल दिला न कूचा-ए-गेसू का क़स्द कर

है आज राह काट के काला निकल गया

उकता गया ब-तंग हुआ क्या करे ग़रीब

आख़िर तुम्हारा चाहने वाला निकल गया

मेहमान है फ़क़ीर है सुन लेंगे आप 'रिन्द'

मुर्शिद का अपने कर के प्याला निकल गया

(576) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rind Lakhnavi. is written by Rind Lakhnavi. Complete Poem in Hindi by Rind Lakhnavi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.