Coupletss of Rind Lakhnavi (page 2)
नाम | रिन्द लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rind Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1797 |
मौत की तिथि | 1857 |
करीम जो मुझे देता है बाँट खाता हूँ
काफ़िर हूँ न फूँकूँ जो तिरे काबे में ऐ शैख़
काबे को जाता किस लिए हिन्दोस्तान से मैं
इश्क़ कुछ आप पे मौक़ूफ़ नहीं ख़ुश रहिए
इमसाल फ़स्ल-ए-गुल में वो फिर चाक हो गए
हूर पर आँख न डाले कभी शैदा तेरा
हम जो कहते हैं सरासर है ग़लत
हों वो काफ़िर कि मुसलामानों ने अक्सर मुझ को
हिज्र की शब हाथ में ले कर चराग़-ए-माहताब
दीवानों से कह दो कि चली बाद-ए-बहारी
दीद-ए-लैला के लिए दीदा-ए-मजनूँ है ज़रूर
चाँदनी रातों में चिल्लाता फिरा
बुत करें आरज़ू ख़ुदाई की
बस अब आप तशरीफ़ ले जाइए
बरहना देख कर आशिक़ में जान-ए-ताज़ा आती है
अपने मरने का अगर रंज मुझे है तो ये है
ऐ शब-ए-फ़ुर्क़त न कर मुझ पर अज़ाब
ऐ परी हुस्न तिरा रौनक़-ए-हिंदुस्ताँ है
ऐ जुनूँ तू ही छुड़ाए तो छुटूँ इस क़ैद से
अगरी का है गुमाँ शक है मलागीरी का
आँख से क़त्ल करे लब से जलाए मुर्दे
आलम-पसंद हो गई जो बात तुम ने की
आदमी पहचाना जाता है क़याफ़ा देख कर
आ अंदलीब मिल के करें आह-ओ-ज़ारियाँ