रिन्द लखनवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रिन्द लखनवी (page 3)
नाम | रिन्द लखनवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rind Lakhnavi |
जन्म की तारीख | 1797 |
मौत की तिथि | 1857 |
तोहमत-ए-हसरत-ए-पर्वाज़ न मुझ पर बाँधे
तौबा का पास रिंद-ए-मय-आशाम हो चुका
सातों फ़लक किए तह-ओ-बाला निकल गया
साइलाना उन के दर पर जब मिरा जाना हुआ
सदमे गुज़रे ईज़ा गुज़री
रक्खो ख़िदमत में मुझ से काम तो लो
क़ब्र पर होवें दो न चार दरख़्त
नीस्त बे-यार मुझ को हस्ती है
नहीं क़ौल से फ़ेल तेरे मुताबिक़
न अंगिया न कुर्ती है जानी तुम्हारी
मुँह न ढाँको अब तो सूरत देख ली
मुझे दे के दिल जान खोना पड़ा है
मुझ बला-नोश को तलछट भी है काफ़ी साक़ी
लाला-रूयों से कब फ़राग़ रहा
क्यूँ-कर न लाए रंग गुलिस्ताँ नए नए
ख़ामोश दाब-ए-इश्क़ को बुलबुल लिए हुए
जलन दिल की लिक्खें जो हम दिल-जले
हैरान सी है भचक रही है
हैं ये सारे जीते-जी के वास्ते
गले लगाएँ बलाएँ लें तुम को प्यार करें
इक परी का फिर मुझे शैदा किया
दिल-लगी ग़ैरों से बे-जा है मिरी जाँ छोड़ दे
दिल किस से लगाऊँ कहीं दिलबर नहीं मिलता
दीद-ए-गुलज़ार-ए-जहाँ क्यूँ न करें सैर तो है
छुप के घर ग़ैर के जाया न करो
चलती रही उस कूचे में तलवार हमेशा
चढ़ी तेरे बीमार-ए-फ़ुर्क़त को तब है
अल्लाह के भी घर से है कू-ए-बुताँ अज़ीज़
अदू ग़ैर ने तुझ को दिलबर बनाया
आज इंकार न फ़रमाइए आप