Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5442e4b43bef1f2dcbc2ba527d23c81f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लम्हा लम्हा शुमार करता हूँ - रिफ़अत सुलतान कविता - Darsaal

लम्हा लम्हा शुमार करता हूँ

लम्हा लम्हा शुमार करता हूँ

आप का इंतिज़ार करता हूँ

ख़ार-ज़ार-ए-हयात में रह कर

मैं बहारों से प्यार करता हूँ

ज़र्द चेहरों उदास आँखों पर

अपनी ख़ुशियाँ निसार करता हूँ

मुझ सा नादान कोई क्या होगा

आप पर ए'तिबार करता हूँ

देख कर नूर नूर चेहरों को

मिदहत-ए-किर्दगार करता हूँ

कोई समझे न दिल की बात अगर

ख़ामुशी इख़्तियार करता हूँ

मैं मोहब्बत के नाम पर 'रिफ़अत'

ग़म-नसीबों से प्यार करता हूँ

(613) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rifat Sultan. is written by Rifat Sultan. Complete Poem in Hindi by Rifat Sultan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.