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इब्तिदा हूँ कि इंतिहा हूँ मैं - रिफ़अत सुलतान कविता - Darsaal

इब्तिदा हूँ कि इंतिहा हूँ मैं

इब्तिदा हूँ कि इंतिहा हूँ मैं

उम्र भर सोचता रहा हूँ मैं

लफ़्ज़-ओ-मा'नी से मावरा हूँ मैं

एक ख़ामोश इल्तिजा हूँ मैं

दिल में कोई ख़ुशी नहीं लेकिन

आदतन मुस्कुरा रहा हूँ मैं

ना-तवाँ हो के अद्ल चाहता हूँ

वाक़ई क़ाबिल-ए-सज़ा हूँ मैं

देख कर रंग बज़्म-ए-आलम का

नक़्श-ए-दीवार बन गया हूँ मैं

सुबह के इंतिज़ार में 'रिफ़अत'

रात भर सोचता रहा हूँ मैं

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In Hindi By Famous Poet Rifat Sultan. is written by Rifat Sultan. Complete Poem in Hindi by Rifat Sultan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.