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बहारों को चमन याद आ गया है - रिफ़अत सुलतान कविता - Darsaal

बहारों को चमन याद आ गया है

बहारों को चमन याद आ गया है

मुझे वो गुल-बदन याद आ गया है

लचकती शाख़ ने जब सर उठाया

किसी का बाँकपन याद आ गया है

मिरी ख़ामोशियों पर हँसने वालो

मुझे वो कम-सुख़न याद आ गया है

तुम्हें मिल कर तो ऐ यज़्दाँ-परस्तो

ग़ुरूर-ए-अहरमन याद आ गया है

तिरी सूरत को जब देखा है मैं ने

उरूज-ए-फ़िक्र-ओ-फ़न याद आ गया है

किसी का ख़ूबसूरत शे'र सुन कर

तिरा लुत्फ़-ए-सुख़न याद आ गया है

मिले वो अजनबी बन कर तो 'रिफ़अत'

ज़माने का चलन याद आ गया है

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In Hindi By Famous Poet Rifat Sultan. is written by Rifat Sultan. Complete Poem in Hindi by Rifat Sultan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.