नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

नक़ाब-ए-रुख़ उठा कर हुस्न जब जल्वा-फ़िगन होगा

न पूछो क्या क़यामत-ख़ेज़ रंग-ए-अंजुमन होगा

न गुल हँसते न कलियाँ मुस्कुरातीं फिर बहाराँ में

ख़बर होती अगर उन को ख़िज़ाँ-ख़ुर्दा चमन होगा

ग़रीक़-ए-बहर होना आदमी के हक़ में बेहतर है

न मम्नून-ए-ज़मीं होगा न मुहताज-ए-कफ़न होगा

जफ़ा ढाते रहेंगे बस यूँही दिन-रात दर-पर्दा

समझ बैठे हैं वो बदनाम तो चर्ख़-ए-कुहन होगा

सफ़र में भी मुसाफ़िर के बहलने को ब-ख़ामोशी

कभी अहबाब का क़िस्सा कभी ज़िक्र-ए-वतन होगा

अभी तो पत्ते पत्ते पर बहारें टूटी पड़तीं हैं

ख़ुदा जाने हमारे बअ'द क्या रंग-ए-चमन होगा

अजल जब छीन लेगी आदमी से ताब-ए-गोयाई

सुकूत-ए-देर-पा होंटों पे फिर जा-ए-सुख़न होगा

किसे मालूम था यूँ दिल की हिम्मत साथ छोड़ेगी

फ़ना ख़ुद अपने तेशे से बिल-आख़िर कोहकन होगा

ख़ुदा के घर भी यूँ तो बे-तलब जाता नहीं कोई

बुलाओगे तो हाँ 'रिफ़अत' शरीक-ए-अंजुमन होगा

(642) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rifat Sethi. is written by Rifat Sethi. Complete Poem in Hindi by Rifat Sethi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.